सरस-प्रसंग
Saras Prasang

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॥ श्रीहरिः ॥

सत्कथाके सेवनसे मनुष्यको अपनी भूलोंका पता लगता है और कर्तव्यका ज्ञान होता है तथा गूढ़ विषय आसानीसे समझमें आ जाते हैं। ऐसे ही कथा-प्रसंगोंका संकलन इस पुस्तकमें किया गया जिसे श्रीभाईजीने अपने प्रवचनों और लेखों में प्रयोग किया है। जो प्रत्येक कल्याणकामी के लिए प्रेरक तथा पथ-प्रदर्शक तो है ही साथ ही प्रवचनकारों एवं व्याख्याकारोंके लिए भी उपयोगी है।

By consuming true stories, man becomes aware of his mistakes and gets knowledge of his duty and complex subjects are easily understood. Such stories were collected in this book. Which Shri Bhaiji has used in his sermons and articles. Which is not only an inspiration and guide for every welfare seeker but is also useful for preachers and interpreters.

लेखक

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पूज्य भाईजी श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार