श्रीराधा-जन्माष्टमी-व्रत-महोत्सव की प्राचीनता, महिमा और पूजा-विधि
Shriradha Krishna Janmashtami Mahotsava

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॥ श्रीहरिः ॥

प्राचीन एवं पौराणिक ग्रन्थोंके आधारपर श्रीराधाजीकी ऐतिहासिकता एवं उनके स्वरूप, महत्व और प्राकट्यकाल तथा पूजा-विधिके वर्णनके साथ योगपीठ – यन्त्रका चित्र एवं राधाजीकी सखियोंके १२८ नाम भी है । अन्तमें मूल श्रीराधाकृपाकटाक्ष स्तवराजके प्रत्येक लोकके साथ सुन्दर गेय छन्दमें हिन्दी अनुवाद एक विशेष आकर्षण है।

On the basis of ancient and mythological texts, there is also a description of the historicity of Shri Radhaji and its form, importance and time of appearance and method of worship along with the picture of Yogpeeth-Yantra and 128 names of Radhaji’s friends. Finally, the Hindi translation of the original Shriradhakripaktaksha Stavraja in beautiful lyrical verses with each loka is a special attraction.

Description

राधाष्टमी-व्रत-महोत्सव को लोग आधुनिक बतलाते है| अत: प्राचीन ग्रंथों के आधार पर श्रीराधा जी को ऐतिहासिकता एवं उनके स्वरूप, महत्व और प्राकट्य के काल-तिथि, वार, समय आदि के साथ ही महोत्सव की महिमा तथा पूजा-विधि आदि का संकलन तथा प्रतिपादन इस पुस्तिका के रूप में पाठकों की सेवा में उपस्थित किया जा रहा है| इससे बहुत-से भ्रम मिटकर कई विषयों की जानकारी हो जाएगी इसमें लिखे अनुसार जानकर, मानकर तथा तदनुसार पूजा आदि का सत्प्रयास करके पाठक श्रीराधाजी की कृपा प्राप्त करेंगे – ऐसी आशा है|

लेखक

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पूज्य भाईजी श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार