कुछ साधकों के सविनय आग्रह पर भाई जी ने एक बार श्रीभरत-चरित्र पर व्याख्यान दिया था जो श्रीभरत प्रेम-प्रवाह का सजीव चित्रण है| श्रीभरत भाव-दशा की इन झाकियों को पढ़-सुनकर एसा प्रतीत होता है की यह आँखों देखा सद्य: विवरण है| प्रभु की मंगलमयी कृपा से धर्मप्राण जनके कल्याण हेतु यह उन्ही का कृपा-प्रसाद है| आशा एवं विश्वास है की इसका पठन-मनन प्रेमी पाठकों को विशेष रसानुभूति करायेगा|
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