भारतवर्ष में अनादिकाल से योगियों का और योग का स्थल रहा है| यह अकब , कितने योगी हुए इस बात का पता लगाना असम्भव है| यह की संस्कृति ही ऐसी है जिसमें साधन करने पर सभी के लिए योगसिद्धि प्राप्त करने का अवसर है |परन्तु सत्य यह है की सिद्धियाँ नाटो बहुत बड़ी चीज है और ना ही सच्चे महात्माओं का वे लक्ष्य ही है परन्तु सिद्ध योगी महात्माओं की सेवा करने के लिए स्वाभाविक ही सिद्धियाँ उनके चरणों में उपस्थित होती है और इसे ही श्रद्धालु भक्तों को भगवान् गीता में सबसे बड़े योगी बताते है | इसे ही योगी – भक्तो का इस पुस्तक में वर्णन है |
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