लेखक
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पूज्य भाईजी श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार
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मानव-जीवन बहुत ही दुर्लभ है, इसका लक्ष्य हैं एकमात्र भगवान् । उनमें मन कैसे लगे और आगे बढ़ें तथा साधक और विषयीकी दृष्टिमें क्या अन्तर होता है इसका सुन्दर विवेचन है ।
व्यावहारिक शिष्टाचार और साधकोंके लिए स्मरणीय बातोंके अलावा साधनोंके तीन अंग कौन-से हैं और भजनकी सारभूत बातोंको सहज ही ग्रहणीय ढंगसे प्रस्तुत किया गया है।
Human life is rare and short; thus, its goal is only God. There is a beautiful explanation of how to engage the mind in them, move forward, and know the difference between the vision of the seeker and the subject.
Apart from practical manners and memorable things for the sadhaks, what are the three parts of the resources and the essential things of the hymn have been presented in an easily understandable manner.
पूज्य भाईजी श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार