गीता चिंतन
Gita Chintan
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श्रीमद्भगवतगीता साक्षात् भगवान श्रीकृष्णके श्रीमुखकी वाणी है। इसलिए वह सर्वशास्त्रमयी है – सारे शास्त्रोका सार भरा हुआ है। इसकी महिमा अनंत है। चाहे मनुष्य किसी भी धर्म या सम्प्रदाय को माननेवाला हो, गीताका उपदेश किसी भी दिशा या दशा में पड़े हुए प्रणियोको ठीक उपयुक्त मार्गपर लाकर उसे कल्याणकी ओर लगा देता है। प्रस्तुत संग्रह श्रद्धेय भाईजी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार के गीता विषयक लेखों, विचारों, पत्रों, आदिका संग्रह है जो समय समय पर ‘कल्याण’ में प्रकाशित हुए थे। हमारा विश्वास है, जो भाई बहिन इस संग्रहको मननपूर्वक पढ़ेंगे एवं अपने जीवनमे उन बातोंको उतारेंगे, उनका जीवन उन्नतिकी सर्वोच्च सीमातक पहुँच सकता है।
Shrimad Bhagwat Geeta is the actual voice of Lord Shri Krishna. That’s why it is Sarvashastramayi – it is full of the essence of all the scriptures. Its glory is infinite. No matter which religion or sect a person is a follower of, the teachings of Gita help the lovers in any direction or condition by bringing them on the right path and directing them towards welfare. The presented collection is a collection of Gita related articles, thoughts, letters, etc. of respected brother Shri Hanuman Prasad Poddar which were published in ‘Kalyan’ from time to time. We believe that those brothers and sisters who will read this collection thoughtfully and implement these things in their lives, their lives can reach the highest level of progress.