यह परम पूज्य भाई जी के सम्पूर्ण साहित्य में से संकलित अनके अमृत वचनों का संग्रह है जो प्रत्येक दिनांक के रूप में प्रतिदिन हमारे जीवन में नया प्रकाश लायेगा| यह एक कैलेंडर के रूप में प्राप्त है |
मानव जीवन में भगवान की कृपा के बिना सुख की प्राप्ति संभव नहीं है| भक्तों के जीवन में भगवत्कृपा का पग-पग पर अनुभव होता है| इस पुस्तक में कुछ भक्तों पर भगवत्कृपा के एसे अनुभव है जो हमें सहज ही भगवान् की कृपा पर निर्भर होने की प्रेरणा देते है और भगवान् के प्रति भक्ति का सुन्दर भाव भी उत्पन्न करते है |
इस पुस्तक में श्री भाई जी ने श्रीमद्भागवत के दशम स्कंध के वेणुगीत पर जो प्रवचन माला दी थी उसीका लेखबद्ध रूप है| प्राय:उनके शब्दों को ज्यों का त्यों देने का प्रयास किया है |
श्री भाई जी के श्री मुख से नि:सृत वाणी को लिपिबद्ध करने का प्रयास भगवत्कृपा से किया है| इसमें सदाचार, ज्ञान, वैराग्य, भक्ति और प्रेम के उज्जवलतम स्वरुप का वर्णन बड़े ही सरल, सरस और बोधगम्य भाषा में हुआ है| हमें आशा और पूर्ण विश्वास है कि इसका अध्ययन-मनन लौकिक लाभदायी तो होगा ही साथ ही पारलौकिक पथ पर अग्रसर लोगों का पथ-प्रदर्शन अवश्य होगा|
इस संग्रह में संकलित लीलाएँ पूज्य श्रीराधाबाबा का कृपा-प्रसाद है| पूज्य श्रीभाईजी हनुमानप्रसादजी पोद्दार के अनुरोध पर व्रजभाव के एक भावुक भक्त के लिए श्रीराधाबाबा ने स्वानुभूत लीलाओं को लिपिबद्ध किया था|सत्त्व-रज-ताम की छाया से विरहित निर्ग्रन्थ संत के मानस पटल पर ही दिव्य वृन्दावन अवतरित हुआ करता है| भोग की स्प्रहा से , यहाँ तक की मोक्ष की कामना से सर्वथा शून्य संत के त्रिगुणातीत महाशुद्ध सत्त्वमय मानस की ही परिणिति हो जाती है दिव्य वृन्दावन के रूप में, जो बन जाता है लिलाध्म अद्भुत-से-अद्भुत उत्तम-से-उत्तम मधुर-से-मधुर भागवत लीलाओं का | मूलत: योजना थी 38 लीलाओं को लिपिबद्ध करने की| परन्तु लीलाओं की अतिदिव्य और गुह्य भाव अवस्था के कारण इसमें 29 लीलाओं को प्रकाशित किया गया है |
यह पुस्तक भक्तों के जीवन में भगवान की कृपा व चमत्कार की घटनाओं से सुसज्जित है जो मनुष्य को सहज ही भगवान में श्रद्धा व विश्वास पैदा करती है| इसमें सभी मनुष्यों के पठन-मनन योग्य उत्तम सामग्री है |
manish joshi –
श्री हरि