रस और आनन्द
Ras Aur Anand

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॥ श्रीहरिः ॥

मानव-जीवनमें दुःख क्यों आते हैं और सुखी रहनेके लिए सकाम भक्तिकी उपादेयता तथा सन्त महिमापर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। साधनाके विघ्न और भगवान्‌का प्रेम प्राप्त करनेका साधन तथा प्रेमीको प्राप्त होनेवाले आनन्दकी सरस व्याख्या की गई है। इसमें व्रजरस, ज्ञान, भक्ति, परमार्थ और व्यावहारिक सिद्धान्त की बातें बोधगम्य है। एक संग्रहणीय पुस्तक है।

निर्वचनीय है| ऐसे अप्रतिम संत के मुखारविंद से नि:सृत वाणी को पुस्तकाकार रूप में करने के लिए श्रद्धालु साधकों और प्रेमीजनों का बहुत वर्षों से निरंतर आग्रह था| आपके सामने यह पुस्तक प्रतुत है|

Why do sorrows come into human life and to remain happy? A detailed light has been thrown on the importance of fruitful devotion and the glory of saints. Obstacles in spiritual practice, the means to attain God’s love, and the joy that the lover receives have been explained in detail. Vrajaras, knowledge, devotion, charity and practical principles remain part and parcel of it. Indeed it is a tangible and comprehensive book.

संपादक

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पूज्य भाईजी श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार