मेरे प्रियतम
Mere Priyatam

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॥ श्रीहरिः ॥

एक उद्भट विद्वान और वेदान्तनिष्ठ सन्यासी होते हुए ‘भाईजी’ श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके संगसे जिसकी जीवन-धारा ही बदल गई और साथ रहनेका जीवनव्यापी व्रत ही नहीं लिया अपितु आजीवन श्रीभाईजी की चिता -स्थलीपर रहे श्रीराधा बाबाकी अनुभूतियाँ उन्हींके शब्दोंमें संकलित किया गया है। श्रीभाईजीकी आध्यात्मिक स्थितिको जानने- समझनेवाले कतिपय लोगोंमें अग्रणी श्रीराधाबाबा द्वारा जो प्रकाश डाला गया है वह विशेष है और महत्वपूर्ण है। एक पठनीय पुस्तक है।

The experiences of Shriradha Baba, who remained at Shribhaiji’s funeral pyre throughout his life, have been compiled in his own words, with whose association with ‘brother’, Shri Hanumanprasadji Poddar, who changed his life and not only took a life-long vow to live with him, being an eminent scholar and a devout monk.The light thrown by Shri Radha Baba, who is among the few who know and understand Shribhaiji’s spiritual condition, is special and important. It is a readable book.

लेखक

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श्री राधाबाबा