भगवान, धर्म, परलोक और पुनर्जन्म कर्मफल भोग आदिपर उत्तरोत्तर विश्वास कम होता रहने के कारण आज मानव जीवन में उच्छृंखलता, भोगपरायणता, सत्कर्मों में उपेक्षा, दुष्कर्मों मैं प्रीति, अदि महान दोष आ गए हैं| इस पुस्तक में आए हुए विषयों का ठीक-ठीक अध्यन किया जाने पर परलोक तथा पुनर्जन्म में एवं कर्मफल भोग के सिद्धांत में विश्वास बढ़ना अनिवार्य है और उस विश्वास से पतन के प्रवाह में किसी अंश में कुछ रुकावट आना भी संभव है | यद्यपि पतन के प्रवाह का वेग इतना प्रबल और भयानक है कि छोटी मोटी बातों से उसका रुकना संभव नहीं है, तथापि यदि कुछ लोग भी इससे बचेंगे तो उनको तो लाभ होगा ही, फिर उनके संसर्ग में दूसरों को भी परंपरागत लाभ होना संभव है|
'कल्याण' में बहुत से संत महात्माओं के लेख प्रकाशित होते थे| इनमें से कुछ के लेख प्राप्त करना अत्यंत कठिन होता था| इनमें से एक लेखक श्री भूपेंद्र नाथ सान्याल जी है| जिन्होंने भाईजी के आग्रह पर लेख लिखे| इनके लेख 'कल्याण' के आरंभिक वर्षों में प्रकाशित हुए| श्री सान्याल जी भारत के सुप्रसिद्ध राजयोगी श्री श्यामाचरण लाहिड़ी के शिष्य थे| इन्ही दुर्लभ लेखों में कुछ को संकलित करके पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित किया है|जिससे वर्तमान काल में जनसामान्य को सुलभ हो सुर वे इनका पठन-मनन करके लाभान्वित हों|
सत्साहित्य के प्रचार प्रसार में भाई जी के सुपरिचित श्री अक्षयकुमार जी बंदोपाध्याय भारत के एक मूर्धन्य विद्वान, साहित्यकार एवं संत पुरुष थे| श्री भाई जी लिखते है - इनका न्यूनाधिक रूप से भगवान के विशेष कार्य से सम्बन्ध रहा है| इनकी उत्कृष्ट रचनाएँ कल्याण में प्रकाशित हुई और अनेकानेक लोग उनसे लाभान्वित हुए | प्रस्तुत पुस्तक उन्ही लेखों का संग्रह है | इसमें सनातन धर्म के प्राण स्वरुप गोविन्द, गीता, गंगा और गौ पर तात्विक चिंतनपूर्ण लेख है साथ ही हिन्दू दर्शन के गूढ़ आयामों को व्याख्या और अन्य विचारोत्येज्यक लेख है| इन लेखों को पुस्तकाकार करने उद्देश्य है कि आज का जनमानस जो इससे अनभिज्ञ है उसे यह सहज उपलब्ध हो जाये और वें लाभान्वित हो|
यह पुस्तक महामहोपाध्याय पं. गोपीनाथ कविराज के 'कल्याण' में प्रकशित लेखों का संग्रह है जिसे पुस्तकाकार करने का उद्देश्य यह है कि श्री कविराज जी के विचारों से वर्तमानकाल के लोग परिचित हों और उससे लाभ उठायें| उनके जीवन का लक्ष्य था- भारतीय संस्कृति के लुप्तप्राय तत्वों भक्ति, योग विद्या और प्राचीन साधना जिसे लोग संदेह की दृष्टी से देखने लगे थे का यथार्थ स्वरुप प्रस्तुत करना| उन्होंने भक्ति, योग विद्या और तंत्रशास्त्र के कुछ गुह्य आयामों का प्रस्तुतिकरण किया|
मानव जीवन में भगवान की कृपा के बिना सुख की प्राप्ति संभव नहीं है| भक्तों के जीवन में भगवत्कृपा का पग-पग पर अनुभव होता है| इस पुस्तक में कुछ भक्तों पर भगवत्कृपा के एसे अनुभव है जो हमें सहज ही भगवान् की कृपा पर निर्भर होने की प्रेरणा देते है और भगवान् के प्रति भक्ति का सुन्दर भाव भी उत्पन्न करते है |